नोशी गिलानी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का नोशी गिलानी
नाम | नोशी गिलानी |
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अंग्रेज़ी नाम | Noshi Gilani |
जन्म की तारीख | 1964 |
जन्म स्थान | Australia |
ये सर्दियों का उदास मौसम कि धड़कनें बर्फ़ हो गई हैं
ये आरज़ू थी कि हम उस के साथ साथ चलें
उसे लाख दिल से पुकार लो उसे देख लो
उस शहर में कितने चेहरे थे कुछ याद नहीं सब भूल गए
तुझ से अब और मोहब्बत नहीं की जा सकती
तितलियाँ जुगनू सभी होंगे मगर देखेगा कौन
मैं तन्हा लड़की दयार-ए-शब में जलाऊँ सच के दिए कहाँ तक
मैं फ़ैसले की घड़ी से गुज़र चुकी हूँ मगर
कुछ नहीं चाहिए तुझ से ऐ मिरी उम्र-ए-रवाँ
किसी हर्फ़ में किसी बाब में नहीं आएगा
जलाए रक्खूँ-गी सुब्ह तक मैं तुम्हारे रस्तों में अपनी आँखें
दिल का क्या है दिल ने कितने मंज़र देखे लेकिन
उदास शाम की एक नज़्म
समझ में कुछ नहीं आता
मिरी आवाज़ सुनते हो
हिज्र के पर भीग जाएँ
हवा को आवारा कहने वालो
एक जैसा मुकालिमा
ये नाम मुमकिन नहीं रहेगा मक़ाम मुमकिन नहीं रहेगा
यही नहीं कोई तूफ़ाँ मिरी तलाश में है
वो बात बात में इतना बदलता जाता है
तुझ से अब और मोहब्बत नहीं की जा सकती
तितलियाँ जुगनू सभी होंगे मगर देखेगा कौन
मोहब्बतें जब शुमार करना तो साज़िशें भी शुमार करना
किसी हर्फ़ में किसी बाब में नहीं आएगा
कौन भँवर में मल्लाहों से अब तकरार करेगा
इश्क़ करो तो ये भी सोचो अर्ज़-ए-सवाल से पहले
हिज्र की शब में क़ैद करे या सुब्ह-ए-विसाल में रक्खे
हर ज़र्रा-ए-उम्मीद से ख़ुशबू निकल आए
हमारे दरमियाँ अहद-ए-शब-ए-महताब ज़िंदा है