Ghazals of Noorul Ain Qaisar Qasmi
नाम | नूरुल ऐन क़ैसर क़ासमी |
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अंग्रेज़ी नाम | Noorul Ain Qaisar Qasmi |
लम्हा लम्हा इक नई तफ़्सीर है
ख़ुशी में ग़म की हालत कर के देखूँ
ख़ुदा पर ही सदा ईमान रखना
ख़ुदा पर ही सदा ईमान रखना
ख़िज़ाँ की ज़द पे था दुश्मन की भी निगाह में था
हर इक महाज़ को तन्हा सँभाले बैठे हैं
हैरत-ओ-ख़ौफ़ के मेहवर से निकल पड़ते हैं
बुलंदियों पे ज़माने है क्या किया जाए
बड़ी हैरत है वो ज़िंदा मिला है
अपने अफ़्क़ार-ओ-अंदाज़ नया देता हूँ