जो तेरे साथ गुज़ारी वो रात ले आया
जो तेरे साथ गुज़ारी वो रात ले आया
मैं अपने ख़्वाब सभी अपने साथ ले आया
मैं फिर से रोया बहुत गिड़गिड़ाया भी लेकिन
मैं फिर से दर से तिरे ख़ाली हाथ ले आया
बहुत अमीर था लेकिन मैं अब भिकारी हूँ
न जाने कौन मिरी काएनात ले आया
वो जिस को मैं ने बनाया था अपना हिस्से-दार
वही तो नूर मिरा हिस्सा साथ ले आया
अकेले-पन की अज़िय्यत मैं जानता हूँ 'नूर'
इसी लिए मैं क़लम और दवात ले आया
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