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सितारे - नून मीम राशिद कविता - Darsaal

सितारे

निकल कर जू-ए-नग़्मा ख़ुल्द-ज़ार-ए-माह-ओ-अंजुम से

फ़ज़ा की वुसअतों में है रवाँ आहिस्ता आहिस्ता

ब-सू-ए-नौहा-आबाद-ए-जहाँ आहिस्ता आहिस्ता

निकल कर आ रही है इक गुलिस्तान-ए-तरन्नुम से

सितारे अपने मीठे मध-भरे हल्के तबस्सुम से

किए जाते हैं फ़ितरत को जवाँ आहिस्ता आहिस्ता

सुनाते हैं उसे इक दास्ताँ आहिस्ता आहिस्ता

दयार-ए-ज़िंदगी मदहोश है उन के तकल्लुम से

यही आदत है रोज़-ए-अव्वलीं से उन सितारों की

चमकते हैं कि दुनिया में मसर्रत की हुकूमत हूँ

चमकते हैं कि इंसाँ फ़िक्र-ए-हस्ती को भुला डाले

लिए है ये तमन्ना हर किरन उन नूर-पारों की

कभी ये ख़ाक-दाँ गहवारा-ए-हुस्न-ओ-लताफ़त हो

कभी इंसान अपनी गुम-शुदा जन्नत को फिर पा ले

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In Hindi By Famous Poet Noon Meem Rashid. is written by Noon Meem Rashid. Complete Poem in Hindi by Noon Meem Rashid. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.