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एक और शहर - नून मीम राशिद कविता - Darsaal

एक और शहर

ख़ुद-फ़हमी का अरमाँ है तारीकी में रू-पोश

तारीकी ख़ुद बे-चशम-ओ-गोश!

इक बे-पायाँ उजलत राहों की अलवंद!

सीनों में दिल यूँ जैसे चश्म-ए-आज़-ए-सय्याद

ताज़ा ख़ूँ के प्यासे अफ़रंगी मर्दान-ए-राद

ख़ुद देव-ए-आहन के मानिंद

दरिया के दो साहिल हैं और दोनों ही नापैद

शर है दस्त-ए-सियह और ख़ैर का हामिल रू-ए-सफ़ेद

इक बार-ए-मिज़्गाँ इक लब-ए-ख़ंद

सब पैमाने बे-सर्फ़ा जब सीम-ओ-ज़र मीज़ान

जब ज़ौक़-ए-अमल का सर-चश्मा बे-म'अनी हिज़यान

जब दहशत हर लम्हा जाँ-कंद

ये सब उफ़ुक़ी इंसान हैं ये उन के समावी शहर

क्या फिर उन की कमीं में वक़्त के तूफ़ाँ की इक लहर?

क्या सब वीरानी के दिल-बंद

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In Hindi By Famous Poet Noon Meem Rashid. is written by Noon Meem Rashid. Complete Poem in Hindi by Noon Meem Rashid. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.