हज़ारों रंज-ए-दिल दे दे के माशूक़ों को झेले हैं
ये पापड़ किस ने बेले हैं ये पापड़ मैं ने बेले में
Habib Jalib
Gulzar
Allama Iqbal
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Parveen Shakir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(322) Peoples Rate This
क्या वस्ल की उम्मीद मिरे दिल को कभी हो
आप का दिल क्या मिरे दिल से मिला
मौसम-ए-गुल अभी नहीं आया
तुम अपने आशिक़ों से कुछ न कुछ दिल-बस्तगी कर लो
दिल को तुम शौक़ से ले जाओ मगर याद रहे
बुलबुल का उड़ाया दिल नाहक़ ये ख़ाम-ख़याली फूलों की
आप के दिल का मिरे दिल का नफ़ाज़
शर्मा के बिगड़ के मुस्कुरा कर
इक सितम ढाने में फ़र्द एक सितम सहने में
हम ने ये देख लिया देख लिया देख लिया
दिल के दो हिस्से जो कर डाले थे हुस्न-ओ-इश्क़ ने
नाकाम-ए-नशात-ए-ऐश-ओ-ख़ुशी हर वक़्त के रंज-ओ-ग़म ने किया