दूँगा जवाब मैं भी बड़ी शद्द-ओ-मद के साथ
लिक्खा है उस ने मुझ को बड़े कर्र-ओ-फ़र्र से ख़त
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क्या कहूँ हम-नशीं ये मेरा भाग
तासीर के दो हिस्से अगर हों तो मज़ा है
ऐ 'नूह' आते जाते हैं दोनों घरों में हम
आते आते राह पर वो आएँगे
आप आए बन पड़ी मेरे दिल-ए-नाशाद की
इश्क़ में मुझ को बिगड़ कर अब सँवरना आ गया
हम ने ये देख लिया देख लिया देख लिया
बहर-ए-ग़म में दिल का क़रीना
वो घर से चले राह में रुक गए
अगर उस का मिरा झगड़ा यहीं तय हो तो अच्छा हो
अश्कों के टपकने पर तस्दीक़ हुई उस की
दिल-सितानी दिलरुबाई पर घमंड