दिल नज़्र करो ज़ुल्म सहो नाज़ उठाओ
ऐ अहल-ए-तमन्ना ये हैं अरकान-ए-तमन्ना
Parveen Shakir
Habib Jalib
Anwar Masood
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Wasi Shah
Jaun Eliya
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Gulzar
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न मिलो खुल के तो चोरी की मुलाक़ात रहे
मिरे दिल की ख़ताएँ भी क़यामत हैं क़यामत हैं
साक़ी जो दिल से चाहे तो आए वो ज़माना
अच्छे बुरे को वो अभी पहचानते नहीं
तुम अपने आशिक़ों से कुछ न कुछ दिल-बस्तगी कर लो
चलो 'नूह' तुम को दिखा लाएँ तुम ने
मैं किसी शोख़ की गली में नहीं
मिरा दिल देखो अब या मेरे दुश्मन का जिगर देखो
निखर आई निखार आई सँवर आई सँवार आई
हर तरह यूँ है दूँ है बे-मअ'नी
पामाल हो के भी न उठा कू-ए-यार से
वो हाथ में तलवार लिए सर पे खड़े हैं