तुम अपने आशिक़ों से कुछ न कुछ दिल-बस्तगी कर लो
तुम अपने आशिक़ों से कुछ न कुछ दिल-बस्तगी कर लो
किसी से दुश्मनी कर लो किसी से दोस्ती कर लो
निराली हम ने ये तहज़ीब देखी बज़्म-ए-जानाँ में
अदू भी सामने आए तो उस को बंदगी कर लो
ये क्या हर बात पर धमकी है हम तुझ से समझ लेंगे
हमारे हक़ में जो कुछ तुम को करना हो अभी कर लो
अदब ज़ाहिद का है इतना बहुत ऐ अहल-ए-मय-ख़ाना
जब आँखें चार हो जाएँ तो झुक कर बंदगी कर लो
(338) Peoples Rate This