नाकाम-ए-नशात-ए-ऐश-ओ-ख़ुशी हर वक़्त के रंज-ओ-ग़म ने किया
नाकाम-ए-नशात-ए-ऐश-ओ-ख़ुशी हर वक़्त के रंज-ओ-ग़म ने किया
जो तुम ने कहा वो दिल ने किया जो दिल ने कहा वो हम ने किया
ये हाल है मेरे मरक़द का आलम है ये मेरे मदफ़न पर
सरसर ने किसी दिन झाड़ू दी छिड़काव कभी शबनम ने किया
फ़ुर्क़त में हज़ारों ज़ुल्म सहे उल्फ़त में हज़ारों रंज दिए
क्या हम ने किया क्या तुम ने किया ये तुम ने किया वो हम ने किया
आँखों से बहे मिट्टी में मिले अहबाब को पर्वा कुछ न हुई
मातम मिरे इक इक आँसू का मिज़्गाँ की सफ़-ए-मातम ने किया
अब कोई उसे फ़रियाद कहे या कोई उसे शिकवा समझे
हम को जो सताया बंदों ने तो शुक्र ख़ुदा का हम ने किया
यूँ आप बिगड़ने को बिगड़ें लेकिन ये ज़रा सोचें समझें
क्या सिर्फ़ हमीं ने इश्क़ किया दुनिया ने किया आलम ने किया
ये तुम ने किया ये तुम ने सुना ये तुम ने कहा ये कौन कहे
वो पूछते हैं क्या हम ने कहा क्या हम ने सुना क्या हम ने किया
हसरत को भी हसरत आती है इबरत को भी इबरत आती है
वो शक्ल हमारी ग़म में हुई ये हाल हमारा ग़म ने किया
दुनिया को डुबोया अश्कों से तूफ़ान उठाया रो रो कर
दरिया-ए-ग़म उल्फ़त में बपा ऐ 'नूह' तलातुम हम ने किया
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