फ़रोग़-ए-हुस्न में क्या बे-सबात दिल का वजूद
फ़रोग़-ए-हुस्न में क्या बे-सबात दिल का वजूद
वो आफ़्ताब ये शबनम वो आग ये बारूद
ज़हे मदारिज-ओ-इर्फ़ान-ओ-लुतफ़-ए-बज़्म-ए-शुहूद
हमीं हैं अब्द हमीं अबदियत हमीं माबूद
वो बार बार मोहब्बत से ज़िक्र-ए-ख़ैर करें
शहीद-ए-ग़म की यही फ़ातिहा यही है दरूद
सवाद-ए-शाम-ए-मोहब्बत है दूद-ए-बे-आतिश
तुलू-ए-सुब्ह-ए-तमन्ना है आतिश-ए-बे-दूद
ब-लुत्फ़-ओ-ऐश-ओ-निशात-ए-जहाँ मशू नाज़ाँ
दरीं सरा-ए-अदम आश्ना चे-हस्त व चे-बूद
निगाह-ए-नाज़ के जौहर ये पाए क्या मुमकिन
फ़ुग़ाँ भी तेग़ है लेकिन है तेग़-ए-ज़ंग-आलूद
उठी घटा की तरह छा गई फ़ज़ा की तरह
हुदूद-ए-हुस्न में तासीर-ए-इश्क़-ए-ना-महदूद
ख़ुदा के जल्वा-ए-क़ुदरत का पूछना क्या है
जिधर जिधर नज़र उट्ठी उधर उधर मौजूद
तरीक़-ए-इश्क़ में क्यूँ बार-ए-ग़म उठाए न दिल
इसी पहाड़ के नीचे है मंज़िल-ए-मक़्सूद
तुले हैं फिर मह-ओ-अंजुम मुझे सताने पर
दिल-ए-हज़ीं वही इक नाला-ए-फ़लक-पैमूद
ग़ज़ब हुआ कि मुक़द्दर मुझे वहाँ लाया
जहाँ सुकून भी नापैद लुत्फ़ भी मफ़क़ूद
रहा ये अपनी हयात-ओ-ममात का आलम
कभी वजूद अदम था कभी अदम था वजूद
निगाह-ए-नाज़ में दिल का कुछ इक़्तिदार नहीं
अगर अभी है ये मक़्बूल तो अभी मरदूद
हवास-ओ-होश फ़रिश्तों के जिस से रह न सकें
फ़ज़ा में गूँज रहा है वो नग़्मा-ए-दाऊद
बढ़ाए वादी-ए-हसरत में क्या क़दम कोई
कि ख़िज़्र-ए-राह भी गुम और राह भी मसदूद
फ़रोग़-ए-हुस्न तग़य्युर-पसंद कुछ भी नहीं
ज़िया-ए-किरमक-ए-शब-ताब की है कोई नुमूद
यहाँ अदा-ए-फ़राएज़ की सूरतें हैं जुदा
नमाज़-ए-इश्क़ में वाजिब नहीं रुकू-ओ-सुजूद
पयाम-ए-मर्ग भी पहुँचा नवेद-ए-ज़ीस्त के साथ
जो इत्तिफ़ाक़ से अमृत मिला तो ज़हर-आलूद
वफ़ा-ओ-इशक़ की दुश्वारियाँ ख़ुदा की पनाह
अजब अजब हैं शराइत अजब अजब हैं क़ुयूद
तसर्रुफ़ात-ए-मोहब्बत के सब करिश्मे हैं
नहीं तो क्यूँ हो तसद्दुक़ अयाज़ पर महमूद
अदम से आए थे हम और फिर अदम को गए
ये है हक़ीक़त-ए-क़ब्ल-अज़-वजूद-ओ-बा'द-ए-वजूद
तिरा क़लक़ भी तिरा दर्द भी तिरा ग़म भी
हमारे इश्क़ के इतने गवाह हैं मौजूद
ख़ुदा करे कि न दा'वा करें ख़ुदाई का
सुना तो होगा बुतों ने नतीजा-ए-नमरूद
बशर को क़ुव्वत-ए-एहसास ने ख़राब किया
जो ये न हो तो जहाँ में न फिर ज़ियाँ है न सूद
रह-ए-तलब में क़दम डगमगाए जाते हैं
सँभाल या मिरे अल्लाह या मिरे माबूद
निगाह कर्द ज़ि-क़हर-ओ-इताब फ़ित्ना-गरे
ब-ईं तवक़्क़ुफ़-ए-अंदक हवास-ओ-होश-ए-रबूद
जमाल-ए-शाहिद-ए-मुतलक़ से जिस को मतलब है
वो दिल सईद नज़र असअ'द आरज़ू मसऊद
जनाब-ए-'नूह' को तूफ़ान-ए-ग़म से ख़ौफ़ नहीं
कि इख़्तियार में उन के है कश्ती-ए-मक़्सूद
(455) Peoples Rate This