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दिल हमारी तरफ़ से साफ़ करो - नूह नारवी कविता - Darsaal

दिल हमारी तरफ़ से साफ़ करो

दिल हमारी तरफ़ से साफ़ करो

जो हुआ वो हुआ मुआफ़ करो

अहल-ए-गुलशन बहार आ पहुँची

ख़ार-ओ-ख़स से चमन को साफ़ करो

जब सितम होगा फिर करम के बअ'द

तो करम से मुझे मुआफ़ करो

मुझ से कहती है उस की शान-ए-करम

तुम गुनाहों का ए'तिराफ़ करो

ये भी आदत में कोई आदत है

जो कहो उस के बर-ख़िलाफ़ करो

क्यूँ बुझाओ पहेलियाँ बे-कार

गुफ़्तुगू मुझ से साफ़ साफ़ करो

एक दो तीन चार पाँच नहीं

सब ख़ताएँ मिरी मुआफ़ करो

हुस्न उन को ये राय देता है

काम उम्मीद के ख़िलाफ़ करो

हज़रत-ए-दिल यही है दैर-ओ-हरम

महफ़िल-ए-यार का तवाफ़ करो

तुम सज़ा दो मगर ब-हस्ब-ए-क़ुसूर

मैं ये कहता नहीं मुआफ़ करो

इस में भी शान पाई जाती है

हो कोई बात इंहिराफ़ करो

सख़्त-जानों का क़त्ल खेल नहीं

कुछ दिनों और हाथ साफ़ करो

तुम को क़हर-ए-करम-नुमा की क़सम

फ़ैसला मेरे बर-ख़िलाफ़ करो

खुलते हैं दिल के इतने ही जौहर

जितना इस आइने को साफ़ करो

दिल में हैं ख़ार-ए-आरज़ू लाखों

आओ काँटों से घर को साफ़ करो

तूर-ए-सीना की सम्त जाएँ कलीम

'नूह' तुम सैर-ए-कोह-ए-क़ाफ़ करो

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In Hindi By Famous Poet Nooh Narvi. is written by Nooh Narvi. Complete Poem in Hindi by Nooh Narvi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.