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अपने अपने रंग में यकता मैं ही मैं हूँ तू ही तू है - नूह नारवी कविता - Darsaal

अपने अपने रंग में यकता मैं ही मैं हूँ तू ही तू है

अपने अपने रंग में यकता मैं ही मैं हूँ तू ही तू है

हुस्न की मूरत इश्क़ का पुतला मैं ही मैं हूँ तू ही तू है

दुनिया से क्या मतलब मुझ को आलम से क्या तुझ को तअ'ल्लुक़

मेरा दिलबर तेरा शैदा मैं ही मैं हूँ तू ही तू है

चल कर फिर कर देखा भाला जाँचा परखा समझा बूझा

सब से आ'ला सब से अदना मैं ही मैं हूँ तू ही तू है

ज़ुल्म से रक्खे काम हमेशा दा'वे करता जाए वफ़ा का

कौन ज़माने में है ऐसा मैं ही मैं हूँ तू ही तू है

ख़ून-ए-जिगर से क़ौल रहा ये मेरे अश्क-ए-चश्म-ए-तर का

चढ़ता दरिया बहता दरिया मैं ही मैं हूँ तू ही तू है

तू ही तू है मैं ही मैं हूँ आलम में आलम से निराला

दुनिया में दुनिया से अनोखा मैं ही मैं हूँ तू ही तू है

दिल न तुझे लेना था मुझ से जान मुझे देनी थी न तुझ पर

कैसा दुनिया भर में रुस्वा मैं ही मैं हूँ तू ही तू है

कैसी अज़रा कैसी लैला कैसा वामिक़ कैसा मजनूँ

अब मशहूर जहाँ में क्या क्या मैं ही मैं हूँ तू ही तू है

यूँ तो हैं माशूक़ हज़ारों यूँ तो हैं लाखों आशिक़ भी

लेकिन बेहतर नादिर-ए-यकता मैं ही मैं हूँ तू ही तू है

'नूह' ये बातें मिट जाएँगी तेरे मेरे मिट जाने से

चाहने वाला इश्क़-ओ-वफ़ा का मैं ही मैं हूँ तू ही तू है

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In Hindi By Famous Poet Nooh Narvi. is written by Nooh Narvi. Complete Poem in Hindi by Nooh Narvi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.