Ghazals of Nooh Narvi (page 3)
नाम | नूह नारवी |
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अंग्रेज़ी नाम | Nooh Narvi |
जन्म की तारीख | 1879 |
मौत की तिथि | 1962 |
गुलज़ार में ये कहती है बुलबुल गुल-ए-तर से
गुलशन में कभी हम सुनते थे वो क्या था ज़माना फूलों का
फ़रोग़-ए-हुस्न में क्या बे-सबात दिल का वजूद
दोनों घरों का लुत्फ़ जुदागाना मिल गया
दिल-सितानी दिलरुबाई पर घमंड
दिल हमारी तरफ़ से साफ़ करो
दिल हमारी तरफ़ से साफ़ करो
दौलत है बड़ी चीज़ हुकूमत है बड़ी चीज़
दर्द-ए-फ़िराक़ दिल से जुदा हो तो जानिए
चैन हो या बेचैनी हो पहले दिल घबराएगा
बुलबुल का उड़ाया दिल नाहक़ ये ख़ाम-ख़याली फूलों की
बे-कसी में यही हूँ पास कहीं
बतौर-ए-यादगार-ए-ज़ोहद मय-ख़ाने में रख देना
बहर-ए-ग़म में दिल का क़रीना
अपने अपने रंग में यकता मैं ही मैं हूँ तू ही तू है
अहल-ए-उल्फ़त से तने जाते हैं
अगर उस का मिरा झगड़ा यहीं तय हो तो अच्छा हो
अभी कम-सिन हैं मालूमात कितनी
आप के दिल का मिरे दिल का नफ़ाज़
आप का दिल क्या मिरे दिल से मिला
आप जिन के क़रीब होते हैं
आमाज-गाह-ए-तीर-ए-सितम कौन हम कि आप