नूह नारवी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का नूह नारवी (page 5)
नाम | नूह नारवी |
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अंग्रेज़ी नाम | Nooh Narvi |
जन्म की तारीख | 1879 |
मौत की तिथि | 1962 |
क्यूँ आप को ख़ल्वत में लड़ाई की पड़ी है
क्या वस्ल की उम्मीद मिरे दिल को कभी हो
क्या वस्ल के इक़रार पे मुझ को हो ख़ुशी आज
क्या कहूँ हम-नशीं ये मेरा भाग
कुछ दिनों क़ाएम रहे ऐ मह-जबीं इतनी नहीं
कूचा-ए-यार में कुछ दूर चले जाते हैं
कोई उस सितमगर को आगाह कर दे कि बाज़ आए आज़ार देने से झट-पट
कोई नहीं पछताने वाला
किसी बे-दर्द को ज़ुल्म-ओ-सितम का शौक़ जब होगा
ख़ुदा से ज़ुल्म का शिकवा ज़रूर मैं ने किया
ख़याल में इक न इक मज़े की नई कहानी है और हम हैं
कहता है कोई सुन के मिरी आह-ए-रसा को
कहाँ हम और दुश्मन मिल के दोनों कोई दम बैठे
कब अहल-ए-इश्क़ तुम्हारे थे इस क़दर गुस्ताख़
जो अच्छे हैं उन की कहानी भी अच्छी
जाने को जाए फ़स्ल-ए-गुल आने को आए हर बरस
इश्क़ में मुझ को बिगड़ कर अब सँवरना आ गया
इश्क़ के वास्ते है दिल की आड़
हुस्न को शक्लें दिखानी आ गईं
हम से ये कह के वो हाल-ए-शब-ए-ग़म पूछते हैं
हम इश्क़ में उन मक्कारों के बे-फ़ाएदा जलते भुनते हैं
हर तरह यूँ है दूँ है बे-मअ'नी
हर तलबगार को मेहनत का सिला मिलता है
हर सदाए इश्क़ में इक राज़ है
हमेशा तमन्ना-ओ-हसरत का झगड़ा हमेशा वफ़ा-ओ-मोहब्बत का हुल्लड़
हमारी जब हमारी अब हमारी कब से क्या मतलब
गुलज़ार में ये कहती है बुलबुल गुल-ए-तर से
गुलशन में कभी हम सुनते थे वो क्या था ज़माना फूलों का
फ़रोग़-ए-हुस्न में क्या बे-सबात दिल का वजूद
दोनों घरों का लुत्फ़ जुदागाना मिल गया