नूह नारवी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का नूह नारवी (page 2)

नूह नारवी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का नूह नारवी (page 2)
नामनूह नारवी
अंग्रेज़ी नामNooh Narvi
जन्म की तारीख1879
मौत की तिथि1962

ख़ुदा के सज्दे बुतों के आगे फिर ऐसे सज्दे कि सर न उट्ठे

ख़ुदा के डर से हम तुम को ख़ुदा तो कह नहीं सकते

ख़ाक हो कर ही हम पहुँच जाते

कम्बख़्त कभी जी से गुज़रने नहीं देती

कह रही है ये तिरी तस्वीर भी

काबा हो कि बुत-ख़ाना हो ऐ हज़रत-ए-वाइज़

का'बा हो दैर हो दोनों में है जल्वा उस का

जो वक़्त जाएगा वो पलट कर न आएगा

जो अहल-ए-ज़ौक़ हैं वो लुत्फ़ उठा लेते हैं चल फिर कर

जिगर की चोट ऊपर से कहीं मा'लूम होती है

जब ज़िक्र किया मैं ने कभी वस्ल का उन से

जाने को जाए फ़स्ल-ए-गुल आने को आए हर बरस

इश्क़ में कुछ नज़र नहीं आया

इस कम-सिनी में हो उन्हें मेरा ख़याल क्या

हुस्न-ए-मुत्लक़ का निशाँ का'बे में तो मिलता नहीं

हम ने ये देख लिया देख लिया देख लिया

हम इंतिज़ार करें हम को इतनी ताब नहीं

हज़ारों रंज-ए-दिल दे दे के माशूक़ों को झेले हैं

हमें इसरार मिलने पर तुम्हें इंकार मिलने से

हमारे दिल से क्या अरमान सब इक साथ निकलेंगे

ग़ैर का इश्क़ है कि मेरा है

फ़ित्ने दबे-दबाए थे जितने पड़े हुए

इक सितम ढाने में फ़र्द एक सितम सहने में

दूँगा जवाब मैं भी बड़ी शद्द-ओ-मद के साथ

दोस्ती को बुरा समझते हैं

दिल उन्हें देंगे मगर हम देंगे इन शर्तों के साथ

दिल नज़्र करो ज़ुल्म सहो नाज़ उठाओ

दिल में घुट घुट कर इन्हें रहते ज़माना हो गया

दिल को तुम शौक़ से ले जाओ मगर याद रहे

दिल के दो हिस्से जो कर डाले थे हुस्न-ओ-इश्क़ ने

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