नूह नारवी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का नूह नारवी
नाम | नूह नारवी |
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अंग्रेज़ी नाम | Nooh Narvi |
जन्म की तारीख | 1879 |
मौत की तिथि | 1962 |
ये मेरे पास जो चुप-चाप आए बैठे हैं
वो ख़ुदाई कर रहे थे जब ख़ुदा होने से क़ब्ल
वो ख़ुदा जाने घर में हैं कि नहीं
वो हाथ में तलवार लिए सर पे खड़े हैं
वो घर से चले राह में रुक गए
वो बात क्या जो और की तहरीक से हुई
उन से सब हाल दग़ाबाज़ कहे देते हैं
उन का वा'दा उन का पैमाँ उन का इक़रार उन का क़ौल
तुम्हारी शोख़-नज़र इक जगह कभी न रही
तासीर के दो हिस्से अगर हों तो मज़ा है
सुनते रहे हैं आप के औसाफ़ सब से हम
शर्मा के बिगड़ के मुस्कुरा कर
सत्या-नास हो गया दिल का
साक़ी जो दिल से चाहे तो आए वो ज़माना
पूरी न अगर हो तो कोई चीज़ नहीं है
पामाल हो के भी न उठा कू-ए-यार से
नूह बैठे हैं चारपाई पर
न मिलो खुल के तो चोरी की मुलाक़ात रहे
मुझ को ये फ़िक्र कि दिल मुफ़्त गया हाथों से
मुझ को नज़रों के लड़ाने से है काम
मुझ को ख़याल-ए-अबरू-ए-ख़मदार हो गया
मिलना जो न हो तुम को तो कह दो न मिलेंगे
मज़हब-इश्क़-ओ-वफ़ा मुझ को ये देता है सलाह
मौसम-ए-गुल अभी नहीं आया
माजरा-ए-क़ैस मेरे ज़ेहन में महफ़ूज़ है
मैं कोई हाल-ए-सितम मुँह से कहूँ या न कहूँ
महफ़िल में तेरी आ के ये बे-आबरू हुए
लैला है न मजनूँ है न शीरीं है न फ़रहाद
कुछ और बन पड़ी न सवाल-ए-विसाल पर
कोई यहाँ से चल दिया रौनक़-ए-बाम-ओ-दर नहीं