हवा की आँख में काजल नहीं है
दिया अब के कोई घायल नहीं है
उसी को माँगता हूँ हर दुआ में
वो लड़की जो मिरे क़ाबिल नहीं है
ख़ुद अपने आप को मारा है मैं ने
सो मेरा कोई भी क़ातिल नहीं है
अबूज़र की फटी चादर है दुनिया
ये तेरा सुरमई आँचल नहीं है
सखी मैं तेरे जैसा तो नहीं हूँ
सो मेरा लम्स तो संदल नहीं है