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रात लम्बी थी सितारा मिरा ताजील में था - नोमान शौक़ कविता - Darsaal

रात लम्बी थी सितारा मिरा ताजील में था

रात लम्बी थी सितारा मिरा ताजील में था

जिस को जलना नहीं आया वही क़िंदील में था

इक जहाँ और पस-ए-कार-ए-जहाँ था बाक़ी

इक बदन और मिरे इश्क़ की तकमील में था

फिर सियाही ने समेटा मिरा सामान आ कर

कुल असासा मिरा इक शाम की ज़म्बील में था

एक लर्ज़ा था सितारों के बदन पर तारी

मैं तो डूबा हुआ इक हुस्न की तफ़्सील में था

अब तो हर चेहरा उसे ज़र्द दिखाई देगा

देर तक आईना बीमार की तहवील में था

जो मिला वो बड़ी उजलत में मिला था मुझ से

और मैं गोया हमेशा से ही तातील में था

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In Hindi By Famous Poet Nomaan Shauque. is written by Nomaan Shauque. Complete Poem in Hindi by Nomaan Shauque. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.