मस्जिदों में क़त्ल होने की रिवायत है यहाँ
मस्जिदों में क़त्ल होने की रिवायत है यहाँ
और जिसे भी देखिए वो बा-जमाअत है यहाँ
उन के सुर में सुर मिला कर चीख़ती ख़िल्क़त तमाम
देखिए इक झूट में भी कितनी ताक़त है यहाँ
और इस दावे की हम तरदीद कर सकते नहीं
लोग कहते हैं मोहब्बत ही मोहब्बत है यहाँ
फ़ैसला ये भी अदालत को ही करने दीजिए
आप को इंसाफ़ की कितनी ज़रूरत है यहाँ
हम ये जंगल छोड़ने वाले नहीं सुन लीजिए
भेड़ियों में अब भी थोड़ी आदमियत है यहाँ
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