Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_22e78a2c8967c168a20ecea2b8c5d5ab, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
इतनी ताज़ीम हुई शहर में उर्यानी की - नोमान शौक़ कविता - Darsaal

इतनी ताज़ीम हुई शहर में उर्यानी की

इतनी ताज़ीम हुई शहर में उर्यानी की

रात आँखों ने भी जी भर के बदन-ख़्वानी की

नाप सकता है कोई सर्द हवा तेरे सिवा

ये जो ख़ंदक़ है मिरे चार-सू वीरानी की

दिल को माज़ूल किया इश्क़ से तू ने लेकिन

ख़ाक पे रह के भी सुल्तान ने सुल्तानी की

सब उड़ाते हैं मिरी सर्द-दिमाग़ी का मज़ाक़

यानी दुनिया को ज़रूरत है निगहबानी की

फूल कौन ऐसे खिलाता है मिरे चारों तरफ़

धूप की जिन को ज़रूरत न तलब पानी की

दबदबा बढ़ता गया शहर में ख़ुश-हाली का

मिल गई दाद मिरे दश्त को वीरानी की

(327) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Nomaan Shauque. is written by Nomaan Shauque. Complete Poem in Hindi by Nomaan Shauque. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.