क्यूँ करते हो ए'तिबार मेरा
क्यूँ करते हो ए'तिबार मेरा
मा'लूम है तुम को प्यार मेरा
ये ख़ैर है आज कुछ तो कहिए
क्यूँ ज़िक्र है बार बार मेरा
इक बात में फ़ैसला है तुम से
रंजीदा है दिल हज़ार मेरा
तेरा नहीं ए'तिबार मुझ को
तू भी न कर ए'तिबार मेरा
शायद कि न हो तुम अपने बस के
दिल पर तो है इख़्तियार मेरा
मुझ को न हो रश्क ग़ैर-मुमकिन
तू और हो दोस्त-दार मेरा
कुछ समझे हुए हैं अपने दिल में
सुनते नहीं हाल-ए-ज़ार मेरा
वो हाए बिगड़ के उस का जाना
रोना वहीं ज़ार-ज़ार मेरा
कल तक तो 'निज़ाम' ये न था हाल
दिल आज है बे-क़रार मेरा
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