कहते हैं सुन के माजरा मेरा
कहते हैं सुन के माजरा मेरा
तुम से किस रोज़ रब्त था मेरा
नामा-बर उस ने तो कहा सब कुछ
तू ने भी हाल कुछ कहा मेरा
अब तो ख़्वाहाँ विसाल का भी नहीं
कुछ अजब है मुआमला मेरा
और किस को सुनाते हो मुझ को
और किस का ये ज़िक्र था मेरा
ये भी क्या बात आई उस दिन की
ये भी कहिए क़ुसूर था मेरा
मुझ से फिर पूछने से क्या हासिल
गर समझते हो मुद्दआ मेरा
कुछ किसी बात का ख़याल भी है
ग़ैर के सामने गिला मेरा
देख कर उस का फेरा लेना मुँह
और हसरत से देखना मेरा
कुछ तो बाइस है मेरे आने का
कुछ तो तुम से है वास्ता मेरा
बेवफ़ा कहते हैं सभी तुम को
कहिए इस में क़ुसूर क्या मेरा
ऐसी बातें तो ग़ैर की होंगी
आप ने नाम ले लिया मेरा
हाल सुन के मिरा न ये तू कह
एक ही हाल है तिरा मेरा
बे-क़रारी से शब कटी होगी
ऐसा किस दिन ख़याल था मेरा
किस ने बेताब कर दिया मुझ को
कौन आराम ले गया मेरा
दम-ए-मर्ग आ के पूछते हैं 'निज़ाम'
अब तो बख़्शा कहा सुना मेरा
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