मिठाई अगर तुझ को प्यारी न होती
मिठाई अगर तुझ को प्यारी न होती
तिरी तोंद फिर इतनी भारी न होती
न होता अगर काम दर-पेश तुम से
तो यूँ रोज़ तीमार-दारी न होती
अगर टीम में इक भी होता खिलाड़ी
तो टीम अपनी हर बार हारी न होती
क़तर से न लाते अगर माल-ओ-दौलत
मोहल्ले में इज़्ज़त तुम्हारी न होती
अगर छोड़ कर वो न मरता विरासत
पस-ए-मर्ग यूँ आह-ओ-ज़ारी न होती
अगर गर्म करते न बाबू की मुट्ठी
तो आसान मुश्किल तुम्हारी न होती
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