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मिठाई अगर तुझ को प्यारी न होती - नियाज़ स्वाती कविता - Darsaal

मिठाई अगर तुझ को प्यारी न होती

मिठाई अगर तुझ को प्यारी न होती

तिरी तोंद फिर इतनी भारी न होती

न होता अगर काम दर-पेश तुम से

तो यूँ रोज़ तीमार-दारी न होती

अगर टीम में इक भी होता खिलाड़ी

तो टीम अपनी हर बार हारी न होती

क़तर से न लाते अगर माल-ओ-दौलत

मोहल्ले में इज़्ज़त तुम्हारी न होती

अगर छोड़ कर वो न मरता विरासत

पस-ए-मर्ग यूँ आह-ओ-ज़ारी न होती

अगर गर्म करते न बाबू की मुट्ठी

तो आसान मुश्किल तुम्हारी न होती

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In Hindi By Famous Poet Niyaz Sawati. is written by Niyaz Sawati. Complete Poem in Hindi by Niyaz Sawati. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.