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मेरा नाम - नियाज़ हैदर कविता - Darsaal

मेरा नाम

वो जो

अपने को मेरा हरीफ़ और मुक़ाबिल समझते हैं

इन से कहो

दोस्ती ज़िंदगी का अटल फ़ैसला

आख़िरी हुक्म है

और इस फ़र्ज़ को टालना

या हवस के लिए बेच देना

मिरे दोस्तो दुश्मनो

जुर्म है इक मज़र्रत-रसाँ जुर्म है

मुझ को मर्ग़ूब है ज़िंदगी

मुझ को महबूब है मौत के राज़ को फ़ाश करती हुई चाँदनी

और मिरे साथ है

मह-वशों माह-पारों का वो कारवाँ

जिस ने ज़ुल्मत के लश्कर को पसपा किया

हर अँधेरे से इक चाँद पैदा किया

आज मेरा वतन

मेरे अदा-नाज़ फ़िक्र-ओ-नज़र की तरह

शाद आज़ाद ओ आबाद रहने की राहों पे है

नारियल की ज़मीं का निराला निखार

यानी बर्ग-ए-ख़िज़ाँ-ख़ुर्दा

है सोगवार

आरज़ू

नौ-शगुफ़्ता सुरूर-ए-बहार

दिल की जानिब निगाह महताब-दार

अजनबी मैं नहीं

नाम पूछो मिरा

मैं तुम्हारी तमन्ना-ए-हस्ती हूँ

शाएर

मिरा नाम है

और कुछ भी नहीं

और

कुछ भी नहीं

वो जो अपने को मेरा हरीफ़ और मुक़ाबिल समझते हैं

उन से कहो

दोस्ती

ज़िंदगी का अटल फ़ैसला

आख़िरी हुक्म है

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In Hindi By Famous Poet Niyaz Haidar. is written by Niyaz Haidar. Complete Poem in Hindi by Niyaz Haidar. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.