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वीराने बाग़ बाग़ हैं मेरी निगाह से - नियाज़ हैदर कविता - Darsaal

वीराने बाग़ बाग़ हैं मेरी निगाह से

वीराने बाग़ बाग़ हैं मेरी निगाह से

ज़र्रात शब-ए-चराग़ हैं मेरी निगाह से

मेरी नज़र शुआ जिगर-सोज़-ओ-जाँ-गुदाज़

रौशन दिलों के दाग़ हैं मेरी निगाह से

है किस क़दर हसीन ये तस्वीर-ए-काएनात

ख़ुश-रंग बाग़-ओ-राग़ हैं मेरी निगाह से

साक़ी की चश्म-ए-मस्त पे इल्ज़ाम आ न जाए

लबरेज़ सब अयाग़ हैं मेरी निगाह से

वो बे-नियाज़-ए-दर्द-ओ-ग़म-ए-ज़िंदगी 'नियाज़'

वो लोग बा-फ़राग़ हैं मेरी निगाह से

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In Hindi By Famous Poet Niyaz Haidar. is written by Niyaz Haidar. Complete Poem in Hindi by Niyaz Haidar. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.