Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_a5277a03c5acb8637afd5b06b7b457f8, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
जब जब मैं ज़िंदगी की परेशानियों में था - कविता - Darsaal

जब जब मैं ज़िंदगी की परेशानियों में था

जब जब मैं ज़िंदगी की परेशानियों में था

अपनों के बावजूद भी तन्हाइयों में था

आबादियों ने सारे भरम ही मिटा दिए

इस से ज़ियादा ख़ुश तो मैं वीरानियों में था

साहिल पे जो खड़े थे उन्हें मौज ले गई

मैं बच गया की यार मैं तुग़्यानियों में था

आसानियों में ज़ीस्त ही बे-कैफ़ हो गई

जीने का अस्ल लुत्फ़ तो दुश्वारियों में था

करता भी क्या किसी से शिफ़ा की कोई उमीद

सारा का सारा शहर ही बीमारियों में था

जो सादा-लौह थे वो नसीबों में रह गए

चालाक जो भी शख़्स था अच्छाइयों में था

कुछ आप ही ने ग़ौर से डाली नहीं नज़र

मेरा भी नाम आप के शैदाइयों में था

बातें तो सत्ता पर यूँ बहुत सी हुईं मगर

मेरा दिमाग़ झील की गहराइयों में था

'नायाब'-भाई बन के गले जो मिला था कल

उस शख़्स का शुमार भी दंगाइयों में था

(2779) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Jab Jab Main Zindagi Ki Pareshaniyon Mein Tha In Hindi By Famous Poet Nitin Nayab. Jab Jab Main Zindagi Ki Pareshaniyon Mein Tha is written by Nitin Nayab. Complete Poem Jab Jab Main Zindagi Ki Pareshaniyon Mein Tha in Hindi by Nitin Nayab. Download free Jab Jab Main Zindagi Ki Pareshaniyon Mein Tha Poem for Youth in PDF. Jab Jab Main Zindagi Ki Pareshaniyon Mein Tha is a Poem on Inspiration for young students. Share Jab Jab Main Zindagi Ki Pareshaniyon Mein Tha with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.