इस दिल से मिरे इश्क़ के अरमाँ को निकालो

इस दिल से मिरे इश्क़ के अरमाँ को निकालो

तहरीर से औराक़-ए-परेशाँ को निकालो

मुमकिन है तही कर दो मुझे हर किसी शय से

मुमकिन हो अगर दिल से इस ईमाँ को निकालो

गर दूर तलक बाब के इम्कान नहीं हैं

दीवार में इक रौज़न-ए-ज़िंदाँ को निकालो

जिस को है भरम आज भी पैमान-ए-वफ़ा का

सीने से मिरे उस दिल-ए-नादाँ को निकालो

पतझड़ में भी हर गुल पे बहार आए यक़ीनन

गुलशन से अगर मौसम-ए-हिज्राँ को निकालो

तब जा के लगा पाओगे दिल अपना ख़िज़ाँ से

पहले तो इस उम्मीद-ए-बहाराँ को निकालो

तन्हाई चली आए खुला जान के इक दर

पलकों से अगर याद के दरबाँ को निकालो

सहराओं में फिर दूर तलक साफ़ है मंज़र

आँखों से अगर रेत के तूफ़ाँ को निकालो

आशुफ़्ता-सरों पर भी नज़र जाएगी 'नायाब'

गर्दन से अगर सर-ब-गरेबाँ को निकालो

(1955) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Is Dil Se Mere Ishq Ke Arman Ko Nikalo In Hindi By Famous Poet Nitin Nayab. Is Dil Se Mere Ishq Ke Arman Ko Nikalo is written by Nitin Nayab. Complete Poem Is Dil Se Mere Ishq Ke Arman Ko Nikalo in Hindi by Nitin Nayab. Download free Is Dil Se Mere Ishq Ke Arman Ko Nikalo Poem for Youth in PDF. Is Dil Se Mere Ishq Ke Arman Ko Nikalo is a Poem on Inspiration for young students. Share Is Dil Se Mere Ishq Ke Arman Ko Nikalo with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.