Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_809f4d918280b8f043f73c670ddeca6a, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
इस से पहले कि मुझे वक़्त अलाहिदा रख दे - निसार नासिक कविता - Darsaal

इस से पहले कि मुझे वक़्त अलाहिदा रख दे

इस से पहले कि मुझे वक़्त अलाहिदा रख दे

मेरे होंटों पे मिरे नाम का बोसा रख दे

हल्क़ से अब तो उतरता नहीं अश्कों का नमक

अब किसी और की गर्दन पे ये दुनिया रख दे

रौशनी अपनी शबाहत ही भुला दे न कहीं

अपने सूरज के सिरहाने मिरा साया रख दे

तू कहाँ ले के फिरेगी मिरी तक़दीर का बोझ

मेरी पलकों पे शब-ए-हिज्र ये तारा रख दे

मुझ से ले ले मिरे क़िस्तों पे ख़रीदे हुए दिन

मेरे लम्हे में मिरा सारा ज़माना रख दे

हम जो चलते हैं तो ख़ुद बनता चला जाता है

लाख मिट्टी में छुपा कर कोई रस्ता रख दे

हम को आज़ादी मिली भी तो कुछ ऐसे 'नासिक'

जैसे कमरे से कोई सेहन में पिंजरा रख दे

(467) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Nisar Nasik. is written by Nisar Nasik. Complete Poem in Hindi by Nisar Nasik. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.