पुरानी नाव के तख़्ते पे दिल बनाते हुए
पुरानी नाव के तख़्ते पे दिल बनाते हुए
मैं रो पड़ूँ न कोई ख़्वाब गुनगुनाते हुए
सुहूलत ऐसी नहीं है कि हम भी तुम भी मिलें
उफ़ुक़ के ख़त पे ज़मीन आसमाँ मिलाते हुए
ये मैं तमन्ना तमन्ना पिघल न जाऊँ कहीं
दिए की बुझती हुई लौ से शर्म खाते हुए
जज़ीरे वालों ने सीखा है अपनी आँखों से
तुम्हारा नाम समुंदर में काम आते हुए
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