कमाँ से तीर चला और सबा ने चुपके से
कमाँ से तीर चला और सबा ने चुपके से
हिला कि हाथ परिंदे को होशियार किया
हमीं ने सेहन-ए-चमन में उड़ाई ख़ाक-ए-वफ़ा
हमीं ने दश्त में फूलों का कारोबार किया
हम इंतिज़ाम-ए-बहाराँ में ग़र्क़ थे उस दम
जब उस ने हीला-ए-अस्बाब-ए-इंतिशार किया
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