Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_91870f998976ca43d5cb2dc79ba15055, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
रास है मुझ को शब, तन्हा आवारा चाँद - निकहत यासमीन गुल कविता - Darsaal

रास है मुझ को शब, तन्हा आवारा चाँद

रास है मुझ को शब, तन्हा आवारा चाँद

सरतानी हूँ मैं, मेरा सय्यारा चाँद

इन को शेर करूँ, अंदर की बात कहूँ

मौसम रात घटा, सूरज इक तारा चाँद

मैं ने जीती ये बाज़ी, है रात गवाह

थक कर पल्टा चौदहवीं शब, फिर हारा चाँद

लहरों लहरों परछाईं पामाल हुई

देख रहा है हसरत से बे-चारा चाँद

मैं ठहरी मन-जोगन शब भर काहे को

साथ मिरे फिरता है मारा मारा चाँद

चौदहवीं शब क्यूँ बे-कल हो और पटख़े सर

जब तेरे हम-ज़ाद से खेले धारा चाँद

मैं डूबी फिर उभरी आख़िर डूब गई

मौज-ए-बहर-ए-दर्द थी और किनारा चाँद

(488) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Nikhat Yasmeen Gul. is written by Nikhat Yasmeen Gul. Complete Poem in Hindi by Nikhat Yasmeen Gul. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.