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समुंदर पुर-सुकूँ है दिल का तुग़्यानी नहीं कोई - निकहत बरेलवी कविता - Darsaal

समुंदर पुर-सुकूँ है दिल का तुग़्यानी नहीं कोई

समुंदर पुर-सुकूँ है दिल का तुग़्यानी नहीं कोई

हवा पुर-शोर है लेकिन परेशानी नहीं कोई

तअज्जुब है तो बस अपनी वफ़ादारी के जज़्बे पर

हमें उस के बदल जाने पे हैरानी नहीं कोई

तसलसुल ख़्वाब-ए-ख़ुश-आसार का यूँ टूट जाने पर

तअस्सुफ़ है मगर ऐ दिल पशीमानी नहीं कोई

हम अपने आप ही के दर पए आज़ार रहते हैं

हमारा हम से बढ़ कर दुश्मन-ए-जानी नहीं कोई

इधर आने से पहले ही हमें मालूम था 'निकहत'

ये वो रस्ता है जिस रस्ते में आसानी नहीं कोई

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In Hindi By Famous Poet Nikhat Barelvi. is written by Nikhat Barelvi. Complete Poem in Hindi by Nikhat Barelvi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.