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रह-ए-वफ़ा के हर इक पेच-ओ-ख़म को जान लिया - निकहत बरेलवी कविता - Darsaal

रह-ए-वफ़ा के हर इक पेच-ओ-ख़म को जान लिया

रह-ए-वफ़ा के हर इक पेच-ओ-ख़म को जान लिया

जुनूँ में दश्त ओ बयाबाँ तमाम छान लिया

हर इक मक़ाम से हम सुर्ख़-रू गुज़र आए

क़दम क़दम पे मोहब्बत ने इम्तिहान लिया

गिराँ हुई थी ग़म-ए-ज़िंदगी की धूप मगर

किसी की याद ने इक शामियाना तान लिया

तुम्हीं को चाहा बहर-हाल और तुम्हारे सिवा

ज़मीन माँगी किसी से न आसमान लिया

ब-एहतियात चले राह-ए-ज़िंदगी फिर भी

जगह जगह हमें गर्द-ए-सफ़र ने आन लिया

वो बुत भी दुश्मन-ए-ईमान-ओ-आगही था मगर

उसे जो देखा तो हम ने ख़ुदा को मान लिया

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In Hindi By Famous Poet Nikhat Barelvi. is written by Nikhat Barelvi. Complete Poem in Hindi by Nikhat Barelvi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.