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दिल-ए-ना-मुतमइन अंदेशा-ए-बर्क़-ए-तपाँ में है - निहाल सेवहारवी कविता - Darsaal

दिल-ए-ना-मुतमइन अंदेशा-ए-बर्क़-ए-तपाँ में है

दिल-ए-ना-मुतमइन अंदेशा-ए-बर्क़-ए-तपाँ में है

जो बे-ताबी क़फ़स में थी वही अब आशियाँ में है

मिरी बे-ताबी-ए-दिल की समझ में कुछ नहीं आता

ख़ुदा जाने तिरा हर्फ़-ए-तसल्ली किस ज़बाँ में है

यही अंदाज़ हैं तो ग़म नहीं कुछ बोद-ए-मंज़िल का

उमंगें जाग उठी हैं ज़िंदगी सी कारवाँ में है

उसी के राग से गूंजेंगे कल राहें मसर्रत की

ये माना आज इंसाँ मंज़िल-ए-आह-ओ-फ़ुग़ाँ में है

कोई निस्बत नहीं मंज़िल-रसी को रह-नवर्दी से

वो लज़्ज़त कामयाबी में कहाँ जो इम्तिहाँ में है

ये तख़सीस-ए-चमन क्या इल्तिजा-ए-बाग़बाँ कैसी

बहुत ऐ हिम्मत-ए-परवाज़ गुंजाइश जहाँ में है

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In Hindi By Famous Poet Nihal Sevharvi. is written by Nihal Sevharvi. Complete Poem in Hindi by Nihal Sevharvi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.