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अहद हाज़िर में अयार-ए-सुब्ह तो बदला मगर - निहाल सेवहारवी कविता - Darsaal

अहद हाज़िर में अयार-ए-सुब्ह तो बदला मगर

अहद हाज़िर में अयार-ए-सुब्ह तो बदला मगर

ऐ अँधेरी रात तुझ को भी बदलना चाहिए

बावजूद-ए-ग़म मुसलसल क़हक़हे ऐ ना-मुराद

कारवान-ए-ज़िंदगी के साथ चलना चाहिए

शान-ए-रिंदाना की है तौहीन अज़-ख़ुद-रफ़्तगी

सहल है पीना मगर पी कर सँभलना चाहिए

ज़िंदगी वो क्या जो है ना-वाक़िफ़-ए-आशोब-ए-इश्क़

सीना-ए-आदम में तूफ़ानों को पलना चाहिए

इक़तिज़ा-ए-असर-ए-नौ है ज़िंदगी तो दरकिनार

मौत को भी हुस्न के साँचे में ढलना चाहिए

ऐ जुनूँ कुछ देर शग़्ल-ए-ख़ाक-बाज़ी ही सही

दिल तो इस सहरा-ए-हस्ती में बहलना चाहिए

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In Hindi By Famous Poet Nihal Sevharvi. is written by Nihal Sevharvi. Complete Poem in Hindi by Nihal Sevharvi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.