मोर नाच
देखते देखते
उस के चारों तरफ़
सात रंगों का रेशम बिखरने लगा
धीमे धीमे कई खिड़कियाँ सी खुलीं
फड़फड़ाती हुई फ़ाख़ताएँ उड़ीं
बदलियाँ छा गईं
बिजलियों की लकीरें चमकने लगीं
सारी बंजर ज़मीनें हरी हो गईं
नाचते नाचते
मोर की आँख से
पहला आँसू गिरा
ख़ूबसूरत सजीले परों की धनक
टूट कर टुकड़ा टुकड़ा बिखरने लगी
फिर फ़ज़ाओं से जंगल बरसने लगा
देखते देखते....
(403) Peoples Rate This