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वो ख़ुश-लिबास भी ख़ुश-दिल भी ख़ुश-अदा भी है - निदा फ़ाज़ली कविता - Darsaal

वो ख़ुश-लिबास भी ख़ुश-दिल भी ख़ुश-अदा भी है

वो ख़ुश-लिबास भी ख़ुश-दिल भी ख़ुश-अदा भी है

मगर वो एक है क्यूँ उस से ये गिला भी है

हमेशा मंदिर-ओ-मस्जिद में वो नहीं रहता

सुना है बच्चों में छुप कर वो खेलता भी है

न जाने एक में उस जैसे और कितने हैं

वो जितना पास है उतना ही वो जुदा भी है

वही अमीर जो रोज़ी-रसाँ है आलम का

फ़क़ीर बन के कभी भीक माँगता भी है

अकेला होता तो कुछ और फ़ैसला होता

मिरी शिकस्त में शामिल मिरी दुआ भी है

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In Hindi By Famous Poet Nida Fazli. is written by Nida Fazli. Complete Poem in Hindi by Nida Fazli. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.