तन्हा हुए ख़राब हुए आइना हुए
चाहा था आदमी बनें लेकिन ख़ुदा हुए
जब तक जिए बिखरते रहे टूटते रहे
हम साँस साँस क़र्ज़ की सूरत अदा हुए
हम भी किसी कमान से निकले थे तीर से
ये और बता है कि निशाने ख़ता हुए
पुर-शोर रास्तों से गुज़रना मुहाल था
हट कर चले तो आप ही अपने सज़ा हुए