जो भला है उसे बुरा मत कर
ख़ुद से भी बारहा मिला मत कर
ये है बस्ती उदास लोगों की
क़हक़हा मार कर हिंसा मत कर
बाग़ है दिल फ़रेब दोनों से
फूल को ख़ार से जुदा मत कर
रोज़ की ला'न-ता'न ठीक नहीं
घर में आईने को रखा मत कर
चेहरा मोहरा बदलता रहता है
इतनी जल्दी भी फ़ैसला मत कर