बिंदराबन के कृष्ण-कन्हैया अल्लाह-हू
बिंदराबन के कृष्ण-कन्हैया अल्लाह-हू
बंसी राधा गीता गय्या अल्लाह-हू
थोड़े तिनके थोड़े दाने थोड़ा जल
एक ही जैसी हर गौरय्या अल्लाह-हू
जैसा जिस का बर्तन वैसा उस का तन
घटती बढ़ती गंगा-मय्या अल्लाह-हू
एक ही दरिया नीला पीला लाल हरा
अपनी अपनी सब की नय्या अल्लाह-हू
मौलवियों का सज्दा पंडित की पूजा
मज़दूरों की हैय्या हैय्या अल्लाह-हू
(430) Peoples Rate This