Ghazals of Nida Fazli
नाम | निदा फ़ाज़ली |
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अंग्रेज़ी नाम | Nida Fazli |
जन्म की तारीख | 1938 |
मौत की तिथि | 2016 |
जन्म स्थान | Mumbai |
ज़िहानतों को कहाँ कर्ब से फ़रार मिला
ज़मीं दी है तो थोड़ा सा आसमाँ भी दे
यूँ लग रहा है जैसे कोई आस-पास है
ये न पूछो कि वाक़िआ क्या है
ये कैसी कश्मकश है ज़िंदगी में
ये जो फैला हुआ ज़माना है
यक़ीन चाँद पे सूरज में ए'तिबार भी रख
वो ख़ुश-लिबास भी ख़ुश-दिल भी ख़ुश-अदा भी है
वक़्त बंजारा-सिफ़त लम्हा ब लम्हा अपना
वही हमेशा का आलम है क्या किया जाए
उठ के कपड़े बदल घर से बाहर निकल जो हुआ सो हुआ
उठ के कपड़े बदल घर से बाहर निकल जो हुआ सो हुआ
उस को खो देने का एहसास तो कम बाक़ी है
उस के दुश्मन हैं बहुत आदमी अच्छा होगा
तू क़रीब आए तो क़ुर्बत का यूँ इज़हार करूँ
तेरा सच है तिरे अज़ाबों में
तन्हा तन्हा दुख झेलेंगे महफ़िल महफ़िल गाएँगे
तन्हा हुए ख़राब हुए आइना हुए
तलाश कर न ज़मीं आसमान से बाहर
सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो
सफ़र को जब भी किसी दास्तान में रखना
सफ़र को जब भी किसी दास्तान में रखना
राक्षस था न ख़ुदा था पहले
रात के बा'द नए दिन की सहर आएगी
नील-गगन में तैर रहा है उजला उजला पूरा चाँद
नज़दीकियों में दूर का मंज़र तलाश कर
नशा नशे के लिए है अज़ाब में शामिल
नई नई आँखें हों तो हर मंज़र अच्छा लगता है
न जाने कौन सा मंज़र नज़र में रहता है
मुट्ठी भर लोगों के हाथों में लाखों की तक़दीरें हैं