निदा फ़ाज़ली कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का निदा फ़ाज़ली
नाम | निदा फ़ाज़ली |
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अंग्रेज़ी नाम | Nida Fazli |
जन्म की तारीख | 1938 |
मौत की तिथि | 2016 |
जन्म स्थान | Mumbai |
ज़रूरी क्या हर इक महफ़िल में बैठें
ये शहर है कि नुमाइश लगी हुई है कोई
ये काटे से नहीं कटते ये बाँटे से नहीं बटते
यक़ीन चाँद पे सूरज में ए'तिबार भी रख
यही है ज़िंदगी कुछ ख़्वाब चंद उम्मीदें
यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता
वो एक ही चेहरा तो नहीं सारे जहाँ में
उस को रुख़्सत तो किया था मुझे मालूम न था
उस के दुश्मन हैं बहुत आदमी अच्छा होगा
तुम से छुट कर भी तुम्हें भूलना आसान न था
सूरज को चोंच में लिए मुर्ग़ा खड़ा रहा
सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो
सब कुछ तो है क्या ढूँडती रहती हैं निगाहें
रिश्तों का ए'तिबार वफ़ाओं का इंतिज़ार
पहले हर चीज़ थी अपनी मगर अब लगता है
नक़्शा उठा के कोई नया शहर ढूँढिए
मुट्ठी भर लोगों के हाथों में लाखों की तक़दीरें हैं
मुमकिन है सफ़र हो आसाँ अब साथ भी चल कर देखें
मेरी ग़ुर्बत को शराफ़त का अभी नाम न दे
मिरे बदन में खुले जंगलों की मिट्टी है
कुछ भी बचा न कहने को हर बात हो गई
कोशिश भी कर उमीद भी रख रास्ता भी चुन
कोई हिन्दू कोई मुस्लिम कोई ईसाई है
किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं
किस से पूछूँ कि कहाँ गुम हूँ कई बरसों से
ख़ुश-हाल घर शरीफ़ तबीअत सभी का दोस्त
ख़ुदा के हाथ में मत सौंप सारे कामों को
ख़तरे के निशानात अभी दूर हैं लेकिन
कहता है कोई कुछ तो समझता है कोई कुछ
कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता