फिर तिरा इंतिज़ार देखेंगे
फिर तिरा इंतिज़ार देखेंगे
दिल को फिर बे-क़रार देखेंगे
फूल खिलने से पहले आ जाओ
आज मिल कर बहार देखेंगे
कैसे चुपके से लौट आता है
मौसमों पर ख़ुमार देखेंगे
तुझ को रख कर निगाह में अपनी
आज अपना सिंगार देखेंगे
रूठ जाएँगे मान जाएँगे
नाज़ कर के हज़ार देखेंगे
चाहतों के कवच पहन लेंगे
फिर ज़माने के वार देखेंगे
गुफ़्तुगू से ख़लल न आ जाए
आज बस तुझ को यार देखेंगे
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