ये मुख़्तसर सी शिकन क्या बताएगी तुम को
मिरे वजूद में गहरी कई ख़राशें हैं
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हलचल
दिल की उदासियों का कोई सबब नहीं है
आधी मोहब्बत
ज़िंदगी से मिले हुए हो तुम
ख़ुद-फ़रेबी रहे तो अच्छा है
गुनाह
क़ैद कर लो मुझे ख़यालों में
सीने से दिल निकाल के हाथों पे रख दिया
मिरी मोहब्बत भी नीलगूं है
संग-दिल
ला-इल्मी
गुड़िया