मिरे सीने से लग कर देर तक रोती है तन्हाई
किसी ने कह दिया उस से मोहब्बत हो गई मुझ को
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वजूद कर्ब से आगे
संग-दिल
मिरी मोहब्बत भी नीलगूं है
ये मुख़्तसर सी शिकन क्या बताएगी तुम को
गीली हिज्र की क़ब्रें
क़ैद कर लो मुझे ख़यालों में
सीने से दिल निकाल के हाथों पे रख दिया
हवस
ज़िंदगी से मिले हुए हो तुम
चिंगारियों का रक़्स
सुकूत-ए-शहर-ए-दिल की बेबसी को भी कोई समझे