जब जब तुम को याद करें हम
तब तब बारिश हो जाती है
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चिंगारियों का रक़्स
सीने से दिल निकाल के हाथों पे रख दिया
संग-दिल
ज़िंदगी से मिले हुए हो तुम
मैं जल गई हूँ धूप की किरनों से जा-ब-जा
यूँ तो मोहब्बतों में बड़ी क़ुर्बतें रहीं
महव-ए-रक़्स-ए-विसाल था क्या था
मिरी मोहब्बत भी नीलगूं है
च्यूंटियाँ
सुकूत-ए-शहर-ए-दिल की बेबसी को भी कोई समझे
आगही