हवा का रंग नहीं है मगर मिज़ाज तो है
हवा से दोस्ती करना कोई मज़ाक़ नहीं
Habib Jalib
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क़ैद कर लो मुझे ख़यालों में
चाँद जैसा इश्क़
सीने से दिल निकाल के हाथों पे रख दिया
कितने आलम गुज़र गए मुझ पर
आगही
जब जब तुम को याद करें हम
गुनाह
ख़ुदी का राज़
आधी मोहब्बत
ज़िंदगी से मिले हुए हो तुम
किसी को याद करने के नहीं मख़्सूस कुछ लम्हे