और फिर मोहब्बत में जी के मर के देखा है
लोग सोचते हैं जो हम ने कर के देखा है
Rahat Indori
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Wasi Shah
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
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क़ैद कर लो मुझे ख़यालों में
ये मुख़्तसर सी शिकन क्या बताएगी तुम को
ला-इल्मी
दिल की उदासियों का कोई सबब नहीं है
मैं अपने आप को रोकूँ कहाँ तक
सीने से दिल निकाल के हाथों पे रख दिया
आधी मोहब्बत
मिरे सीने से लग कर देर तक रोती है तन्हाई
सारे जज़्बे तिरी चाहत के दिखाई देते
कितने आलम गुज़र गए मुझ पर
आगही