अपनी आँखों को नोच डाला है
तुम को पाने के ख़्वाब बुनती हैं
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Gulzar
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Rahat Indori
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मैं जल गई हूँ धूप की किरनों से जा-ब-जा
क़ैद कर लो मुझे ख़यालों में
मिरी मोहब्बत भी नीलगूं है
रिहाई
गीली हिज्र की क़ब्रें
हवस
संग-दिल
सीने से दिल निकाल के हाथों पे रख दिया
मैं अपने आप को रोकूँ कहाँ तक
ज़िंदगी से मिले हुए हो तुम
चिंगारियों का रक़्स
हवा का रंग नहीं है मगर मिज़ाज तो है